khandekar ne likha tha:
> तेन्दुलकर दोबारा मैदान मे
हो सकता है कि छूटे। पर सचिन
विवादों में पड़ने वालों
में से तो नहीं दिखते।
अज़हरुद्दीन की मैच
फ़िक्सिङ्ग की वजह से
उन्होंने कप्तानी छोड़ दी,
यह नहीं कि डट कर मुकाबला
करते। नेता को जैसा होना
चाहिए वैसे नहीं हैं वो।
और दूसरे अग़र 2007 की टीम के
हिसाब से सोचना है तो सचिन
के बजाय किसी और को मौका
देना ही अच्छा है न। सचिन को
चलाने दो अपना होटल और अपना
फ़रारी। क्रिकेट जवानों को
खेलने दो।
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